भारतीय वायदा बाजार (MCX) में सोमवार का दिन निवेशकों के लिए किसी रोलर-कोस्टर राइड से कम नहीं रहा। चांदी की कीमतों ने आज कुछ ही घंटों के भीतर अर्श से फर्श तक का सफर तय किया। सुबह जहाँ चांदी ने 2.50 लाख रुपये के ऐतिहासिक स्तर को पार कर एक नया कीर्तिमान रचा, वहीं दोपहर होते-होते इसमें 21,000 रुपये की भारी गिरावट दर्ज की गई।
चांदी के बाजार में आए इस भूचाल और इसके पीछे के कारणों का विस्तृत विश्लेषण यहाँ दिया गया है:
रिकॉर्ड ऊंचाई से 8% का क्रैश: क्या हुआ बाजार में?
सोमवार सुबह 9 बजे जैसे ही बाजार खुला, चांदी में जबरदस्त लिवाली देखी गई। महज दो मिनट के भीतर चांदी 2,54,174 रुपये के लाइफ-टाइम हाई पर पहुंच गई। उस वक्त ऐसा लग रहा था कि चांदी आज सारे रिकॉर्ड ध्वस्त कर देगी। लेकिन, ऊंचाई पर टिकने के बजाय बाजार में अचानक बिकवाली का दौर शुरू हुआ।
दोपहर 12:20 बजे तक चांदी अपने रिकॉर्ड हाई से 21,054 रुपये (लगभग 8.28%) नीचे गिरकर 2,33,120 रुपये पर आ गई। हालांकि, दोपहर 1:55 बजे तक इसमें हल्की रिकवरी देखी गई और यह 2,37,153 रुपये के आसपास कारोबार करने लगी। 3 घंटे के भीतर 21 हजार रुपये की यह गिरावट कमोडिटी मार्केट के इतिहास के सबसे बड़े उतार-चढ़ाव में से एक है।
चांदी के क्रैश होने के 3 बड़े कारण
बाजार विशेषज्ञों ने इस भारी गिरावट के पीछे तीन प्रमुख वजहें बताई हैं:
1. भारी मुनाफावसूली (Profit Booking)
चांदी ने इस साल निवेशकों को 180% और अकेले इस महीने में 40% का बंपर रिटर्न दिया है। जब कीमतें 2.54 लाख के पार गईं, तो बड़े निवेशकों और ट्रेडर्स ने ऊंचे स्तरों पर मुनाफा वसूलना बेहतर समझा। इस भारी बिकवाली के दबाव ने कीमतों को नीचे धकेल दिया।
2. रूस-यूक्रेन शांति वार्ता की सुगबुगाहट
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भू-राजनीतिक (Geopolitical) तनाव कम होने की खबरों ने 'सेफ हेवन' डिमांड को कम कर दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की के बीच संभावित शांति समझौते की चर्चाओं ने बाजार का सेंटीमेंट बदल दिया। ट्रंप के इस बयान ने कि "वे समझौते के बहुत करीब हैं", निवेशकों को सुरक्षित निवेश (सोना-चांदी) से निकालकर जोखिम वाले एसेट्स (शेयर बाजार) की ओर मोड़ दिया।
3. अंतरराष्ट्रीय बाजार में गिरावट
ग्लोबल मार्केट में चांदी पहली बार 80 डॉलर प्रति औंस के पार निकल गई थी। लेकिन शांति वार्ता की खबरों के बाद यह फिसलकर 75 डॉलर के नीचे आ गई। विदेशी बाजारों में आई इस कमजोरी का सीधा असर भारतीय वायदा बाजार (MCX) पर देखने को मिला।
क्या अब भी बरकरार है चांदी की चमक?
इतनी बड़ी गिरावट के बावजूद चांदी की लंबी अवधि की कहानी अभी भी मजबूत नजर आ रही है। इसके पीछे मुख्य कारण इंडस्ट्रियल डिमांड है। सोलर पैनल, इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) और इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर में चांदी की खपत लगातार बढ़ रही है, जबकि वैश्विक स्तर पर इसकी सप्लाई में कमी आई है।
यही कारण है कि इतनी गिरावट के बाद भी यह इस साल का सबसे अच्छा रिटर्न देने वाला एसेट बना हुआ है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह का क्रैश बाजार को 'ओवरहीट' होने से बचाता है और नए निवेशकों को प्रवेश का मौका देता है।